जीविका
असि, मसि, कृषि, विद्या, शिल्प और वाणिज्य ये छः कर्म प्रजा की आजीविका के कारण हैं। वन जीविका – स्वयं टूटे हुए अथवा तोड़कर वृक्ष आदि वनस्पति आदि का बेचना अथवा गेहूँ आदि धान्यों को पीस कूटकर व्यापार करना वन जीविका है। कोयला तैयार करना अग्नि जीविका है। स्वयं गाड़ी, रथ और उसके चक्र वगैरह बनाना अथवा दूसरे से बनवाना, गाड़ी जोतने का व्यापार स्वयं करना अथवा दूसरे से करवाना, गाड़ी आदि बेचने का व्यापार करना अनोजीविका है। पटाखे और आतिशबाजी आदि बारूद की चीजों से आजीविका करना स्फूट जीविका है। गाड़ी-घोड़ा आदि से बोझा ढोकर जो भाड़े की आजीविका की जाती है, वह भाटक जीविका कहलाती है। तेल निकालने के लिए कोल्हू चलाना, तिल बगैरह देकर उनके बदले में तेल लेना आदि यंत्र पीड़न जीविका है। इसी प्रकार अन्य भी आजीविकायें हैं। श्रावकों को हिंसा बढ़ाने वाली होने से सब छोड़ देना चाहिए।