जल गालन
जल को प्रयोग में लेने से पहले दृढ़ वस्त्र से छानना जल गालन कहलाता है। घी, तेल, दूध व पानी आदि पतले पदार्थो को बिना छाने काम नहीं लेना चाहिए। छने हुऐ पानी को भी दो मुहूर्त अर्थात् चार घड़ी बाद पुनः छानना चाहिए। अथवा दो घड़ी बाद जल को पुनः छानना चाहिए ऐसा उल्लेख भी मिलता है छत्तीस अंगुल लम्बे और चौबीस अंगुल चौड़े वस्त्र को दोहरा करके उसमें से जल छानना चाहिए । रंगे हुऐ वा पहने हुऐ वस्त्र में से जल नहीं छानना चाहिए। छानने के पश्चात् शेष बचे हुऐ जल को जिस स्थान का जल है उसी में डालना चाहिए । जीव हिंसा से बचने के लिये जलगालन की क्रिया श्रावक को आवश्यक है।