छल
वादी के वचन से दूसरा अर्थ कल्पना कर उसके वचन में दोष देना वचन छल है। वह तीन प्रकार का है- वाक् छल, सामान्य छल, और उपचार छल। वाक् छल वक्ता के किसी साधारण शब्द के प्रयोग करने पर उसके विवक्षित अर्थ की जानबूझ कर उपेक्षा कर अर्थान्तर की कल्पना करके वक्ता के वचन निषेध करने को वाक्छल कहते हैं। जैसेवक्ता ने कहा “इस ब्राह्मण के पास नव कम्बल है।” हम जानते हैं कि नव कहने से वक्ता का अभिप्राय नूतन से है, फिर भी दुःभावना से उसके वचनों को निषेध करने के लिए हम नव शब्द का अर्थ नौ संख्या करके पूछते हैं कि इस ब्राह्मण के पास नौ कम्बल कहाँ हैं। संभावना मात्र से कही गई बात को सामान्य नियम बनाकर वक्ता के वचनों के निषेध करने को सामान्य छल कहते हैं। जैसे- आश्चर्य है कि यह ब्राह्मण विद्या और आचरण से युक्त है। इस प्रकार कोई दूसरा पुरुष कहता है कि विद्या और आचरण का होना ब्राह्मण में स्वभावाविक है, यहाँ यद्यपि ब्राह्मणत्व का संभावना मात्र से कथन किया गया है, फिर भी छल वादी वास्तव में विद्या और आचरण के होने के सामान्य नियम बनाकर के कहता है कि यदि बाह्मण में विद्या और आचरण का होना स्वाभाविक है तो व्रात्य (पतित) ब्राह्मण में भी होना चाहिए क्योंकि व्रात्य ब्राह्मण भी ब्राह्मण है। उपचार में अर्थ में मुख्य अर्थ का निषेध करके वक्ता के वचनों को निषेध करना उपचार छल है। जैसे- कोई कहे कि मंच रोते हैं। तो छलवादी उत्तर देता है कि कहीं मंच जैसे- अचेतन पदार्थ भी रो सकते हैं। अचेतन अतः यह कहना चाहिए कि मंच पर बैठे हुए आदमी रोते हैं।