चित्रा पृथिवी
अधोलोक में सबसे पहली रत्नप्रभा पृथिवी है उसके तीन भाग हैं। इनमें से प्रथम खर भाग सोलह भेदों से युक्त है ये सोलह भाग चित्रा आदि सोलह पृथिवी रूप है इनमें से चित्रा पृथिवी अनेक प्रकार की है यहाँ पर अनेक रंगों से युक्त महीतल, शिलातल, शीशा, चाँदी, सुवर्ण आदि विविध धातुएँ और स्फटिक, जलकान्त, सूर्यकान्त, चन्द्रकान्त, वैडूर्य आदि विविध मणियाँ पायी जाती है इसलिए इसे चित्रा पृथिवी कहते हैं। इसकी मोटाई एक हजार योजन है। इसके नीचे वैडूर्य, लोहितांक आदि चौदह, पृथिवियाँ हैं। इनमें से प्रत्येक की मोटाई एक हजार योजन है। अन्तिम पाषाण नाम की सोलहवीं पृथिवी है।