चक्र
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समवशरण में स्थिति पीठिका को अष्टमंगल सम्पदाएँ और यक्षों के ऊँचे-ऊँचे मस्तकों पर रखे हुए धर्मचक्र अलंकृत कर रहे थे। जिनमें लगे हुए रत्नों की किरणें ऊपर की ओर उठ रही है ऐसे हजार-हजार आरों वाले वे धर्म चक्र ऐसे सुशोभित हो रहे थे, पीठिका रूपी उदयाचल से उदय होते हुए सूर्य के बिम्ब ही हो ।
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