घोर ब्रह्मचर्य तप ऋद्धि
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जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु सब गुणों से संपन्न होकर अखण्ड ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, उसे घोर – ब्रह्मचर्य-तप ऋद्धि कहते हैं। इसके प्रभाव से साधु के समीप चौरादिक की बाधाएँ और महायुद्ध नहीं होते।
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