गुढ़ब्रह्मचारी
जो कुमार अवस्था में ही मुनि होकर शास्त्रों का अभ्यास करते हैं तथा पिता – भाई आदि कुटुम्बियों के आश्रय से अथवा घोर परीषहों को न सहन करने से किं वा राजा की विशेष आज्ञा से अथवा अपने आप ही जो परमेश्वर भगवान अरहंत देव की दिगम्बर दीक्षा को छोड़कर गृहस्थ धर्म स्वीकार करते हैं, उन्हें गूढ़ ब्रह्मचारी कहते हैं ।