कृष्ण
तीर्थंकर नेमिनाथ के चचेरे भाई और वसुदेव के थे। नन्दगोप के घर पालन हुआ। इन्होंने पुत्र मल्लयुद्ध में कंस को मार दिया था। रूक्मणी इनकी पटरानी थी। पृथ्वी, सुन्दरी आदि सोलह हजार रानियों के स्वामी थे। सुदर्शनचक्र, कौमुदी गदा, सौनन्द खड्ग, अमोघमुखी शक्ति, शाङ् नामक धनुष, पांचजन्य शंख, कौस्तुभ नाम महामणि ये सात रत्न इनके थे और इन रत्नों की रक्षा पृथक-पृथक एक-एक हजार यक्ष देव करते थे। ये बलदेव नामक बलभद्र के छोटे भाई थे। इनका शरीर दाढ़ी मूँछ से रहित था तथा उत्तम संहनन और संस्थान से युक्त था। महाभारत के युद्ध में पाण्डवों का पक्ष लिया तथा जरासंध को मारकर नवमें नारायण के रूप में प्रसिद्ध हुए। ये उत्तम भावनाओं का चिन्तवन करते हुए जरत्कुमार का बाण लगने से मरण को प्राप्त हुए। आगामी चौबीसी में निर्मल नामक सोलहवें तीर्थंकर होंगे।