कुमानुष
पूर्वादिक दिशाओं में स्थिति चार द्वीपों के कुमानुष क्रम से एक जाँघ वाले, पूँछ वाले, सींग वाले व गूँगे होते हुए इन्हीं नामों से होते हैं । युक्त आग्नेय आदि दिशाओं में चार द्वीपों में क्रम से शुष्कुलीकर्ण, कर्ण प्रावरण, लम्बकर्ण व शशकर्ण कुमानुष होते हैं। शष्कुलीकर्ण व एकोरुक आदिकों के बीच में स्थित आठ द्वीपों के कुमानुष क्रम से सिंह, अश्व, श्वान, महिष, बराह, शार्दूल, घूक, बंदर के समान मुँह वाले होते हैं। हिमवान् पर्वत के प्रणिधिभाग में पूर्व पश्चिम दिशा में क्रम से मत्स्यमुख व कालमुख तथा दक्षिण विजयार्द्ध के प्रणिधि भाग में मेष मुख व गोमुख कुमानुष होते हैं । शिखरी पर्वत के पूर्व-पश्चिम के प्रणिधि भाग में क्रम से मेघमुख व विद्युतमुख तथा उत्तर विजयार्ध के प्रणिधि भाग में आदर्शमुख दप्रणमुख व हस्तिमुख कुमानुष होते हैं। जितने द्वीप व उनमें रहने वाले कुमानुष हैं अभ्यन्तर भाग में उतने ही बाह्य भाग में विद्यमान है।