कुंथुनाथ
सत्रहवें तीर्थंकर और छठे चक्रवर्ती। हस्तिनापुर के कौरववंशी महाराज सूरसेन और रानी श्रीकान्ता के यहाँ जन्म लिया । इनकी आयु पंचानवे हजार वर्ष थी । शरीर की ऊँचाई पैंतीस धनुष और आभा स्वर्ण के समान थी। चक्रवर्ती का विपुल – वैभव त्याग कर एक दिन दिगम्बर दीक्षा अंगीकार कर ली। सोलह वर्ष तक कठिन तपस्या के उपरान्त केवलज्ञान प्राप्त किया। इनके चतुर्विध संघ में स्वयंभू आदि पैंतीस गणधर, साठ हजार मुनि, साठ हजार तीन सौ पचास आर्यिकाएँ, तीन लाख श्राविकाएँ और दो लाख श्रावक थे। इन्होंने सम्मेदशिखर से निर्वाण प्राप्त किया ।