काम पुरुषार्थ
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कामसेवन करना काम पुरुषार्थ है। कामपुरुषार्थ अशुभ है। कामपुरुषार्थ अपवित्र शरीर से उत्पन्न होता है। इससे आत्मा हल्की होती है। इसके सेवा से आत्मा दुर्गति में दुःख पाती है। यह पुरुषार्थ अल्प काल में ही उत्पन्न होकर नष्ट होता है और प्राप्त होने में कठिन है।
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