औदयिक भाव
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जीव के जो भाव कर्म के उदय से उत्पन्न होते हैं वह औदयिक – भाव कहलाते हैं । औदयिक – भाव इक्कीस हैं- चार गति, चार कषाय, तीन लिंग, एक मिथ्यादर्शन, एक अज्ञान, एक असंयम, एक असिद्ध भाव और छह लेश्याएँ ।
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