उपलब्धि समा
वादी द्वारा कहे जा चुके कारण के अभाव होने पर भी साध्य धर्म का उपलम्ब हो जाने से उपलब्धि प्रतिषेध है। उसका उदाहरण इस प्रकार है- वायु के द्वारा वृक्ष की शाखा आदि के भंग से उत्पन्न हुए शब्द में या घनगर्जन, समुद्रघोष आदि में प्रयत्नजन्यत्व का अभाव होने पर भी उसमें साध्य धर्म रूप अनितत्त्व वर्त रहा है। इसलिए शब्द को नित्य सिद्ध करने में दिया गया प्रत्यनान्तरीयकत्व हेतु ठीक नहीं है।