उपपादयोगस्थान
पर्याय धारण करने के पहले समय में तिष्ठते हुए जीव के उपपाद योगस्थान होते हैं। जो वक्रगति से नवीन पर्याय को प्राप्त हो उसके जघन्य जो ऋजुगति से नवीन पर्याय को प्राप्त हो उसके उत्कृष्ट योगस्थान होते हैं। उपपादयोगस्थान उत्पन्न होने के प्रथम समय में ही होता है। उसका जघन्य व उत्कृष्ट काल एक समय मात्र है ।