उपपाद
देव व नारकी जीवों के उत्पत्ति स्थान विशेष की उपपाद संज्ञा है अथवा ढकी हुई शय्या एवं ऊँट आदि के मुख की आकृति के समान बिलों में लघु अन्तर्मुहूर्त में ही जीव का उत्पन्न होना उपपाद जन्म है। देवों का उपपाद स्थान ढकी हुई शय्या के समान होता है जहाँ जीव लघु अन्तर्मुहूर्त काल में सुंदर शरीर की रचना कर लेता है नारकी जीव पाप के उदय से ऊँट आदि के मुख की आकृति वाले नरक बिल में भय से काँपता हुआ अत्यन्त कष्टपूर्वक जन्म लेता है।