उपचरित स्वभाव
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स्वभाव का भी अन्यत्र उपचार करनेसे उपचरित स्वभाव होता है। वह उपचरित स्वभाव कर्मज और स्वभाविक के भेद से दो प्रकार का है। जैसे जीव का मूर्तत्व और अचेतनत्व कर्मजस्वभाव है और सिद्धों का पर को देखना पर को जानना स्वभाविक स्वभाव है।
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