उपचरित सद्भूत व्यवहार
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सोपाधि गुण और गुणी में भेद का कथन करना उपचरित सद्भूत व्यवहार नय है। यह वस्तु को जानने का एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें कर्मोपाधि से युक्त द्रव्य के आश्रित रहने वाले गुणों को उस द्रव्य अर्थात् गुणी से प्रथक् कथन किया जाता है। जैसे- जीव के मतिज्ञान आदि गुण हैं- ऐसा कहना ।
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