उपचरित असद्भूत व्यवहार
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संश्लेष रहित वस्तुओं के संबंध को बताने वाला उपचरित-असद्भूत व्यवहार नय है। यह वस्तु को जानने का एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें संश्लेष से रहित सर्वथा भिन्न वस्तुओं के बीच स्वामित्व आदि की अपेक्षा संबंध का कथन किया जाता है जैसे- ‘यह देवदत्त का धन है या ‘यह मेरा मकान है’ ।
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