उपकार
उपकार का सामान्य अर्थ निमित्त रूप से सहायक होना है वह दो प्रकार का है- स्व- उपकार और परोपकार। दान देने से जो पुण्य का संचय होता है, वह स्व-उपकार है और जिन्हें दान दिया जाता है उनके सम्यग्ज्ञान आदि की वृद्धि होती है यह परोपकार है। उपकार, बलाधान व अवलम्बन इन शब्दों का एक ही अर्थ होता है जैसे कि अपने पाँवों से चलने वाले अंधे के लिए लाठी उपकारक है इसी प्रकार अपनी अपनी शक्ति से चलने अथवा ठहरने वाले जीव व पुद्गल द्रव्यों को धर्म और अधर्म द्रव्य उपकारक है।