उत्तमार्थ प्रतिक्रमण
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समाधिमरण लेते समय जीवन भर हुए दोषों का स्मरण करके गुरु के सम्मुख आलोचना पूर्वक जो प्रतिक्रमण किया जाता है वह उत्तमार्थ- प्रतिक्रमण कहलाता है।
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