ईर्यापथ शुद्धि
अनेक प्रकार के जीवस्थान, जीवाश्रय आदि के विशिष्ट ज्ञानपूर्वक प्रयत्न पूर्वक जिसमें जन्तु – पीड़ा का बचाव किया जाता है, जिसमें ज्ञान, सूर्य प्रकाश आदि से अच्छी तरह देख कर गमन किया जाता है तथा जो शीघ्र विलम्ब से, सम्भ्रान्त, विस्मित लीला विकार आदि गमन के दोषों से रहित है वह ईर्यापथ शुद्धि है।