ईर्यापथ आश्रव
ईर्या का अर्थ योग है, कषाय के अभाव में मात्र योग के द्वारा जो आस्रव होता है वह ईर्यापथ-आश्रव है। ईर्यापथ में रूप से आए हुए कर्म परमाणु दूसरे समय में ही पूर्णतः निर्जरा को प्राप्त होते हैं इसलिए ईर्यापथ कर्मस्कन्ध महान् व्यय रूप कहे गए हैं। उपशान्त कषाय, क्षीण कषाय और सयोग केवली भगवान के कषाय के अभाव में मात्र योग के द्वारा आए हुए कर्म सूखी दीवार पर पड़ी धूल के समान तुरन्त झड़ जाते हैं बन्धते नहीं हैं। अतः इन तीनों अवस्थाओं में एकमात्र ईर्यापथ आस्रव होता है।