आवश्यक
जो इन्द्रिय और मन के वशीभूत अर्थात् आधीन नहीं होते उन्हें ‘अवश’ कहा जाता है और ऐसे अवश या संयमी (मुनि) के द्वारा रोग आदि उत्पन्न होने पर भी जो दिवस या रात्रि सम्बन्धी आवश्यक क्रियाएँ सम्पन्न की जाती हैं, उन्हें ‘आवश्यक’ कहते हैं। सामायिक स्तवन, वन्दना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान और कायोत्सर्ग- ये छह आवश्यक होते ।