आवरक व आवरण
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जो आवृत करता है या जिसके द्वारा आवृत किया जाता है वह आवरण कहलाता है। जो अपने विरोधी द्रव्य के सन्निधान अर्थात् समीप्य होने पर जो निर्मूलतः नहीं नष्ट होता उसे अव्रियमाण कहते हैं और दूसरे अर्थात् आवरण करने वाले विरोधी द्रव्य को आवरक कहते है।
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