आगाल
अन्तरकरण हो जाने के पश्चात् पुरातन मिथ्यात्व कर्म तो प्रथम व द्वितीय स्थिति में विभाजित हो जाता है परन्तु नया बंधा कर्म द्वितीय स्थिति में पड़ता है। उसमें से कुछ द्रव्य आकर्षण द्वारा प्रथम स्थिति में निषेकों को प्राप्त होते है उसको आगाल कहते है फिर प्रथम स्थिति को प्राप्त हुए द्रव्यों में से कुछ द्रव्य उत्कर्षण द्वारा पुनः द्वितीय स्थिति के निषेकों को प्राप्त होते हैं उसको प्रत्यागाल कहते हैं।