शब्द नय
जो पदार्थ को बुलाता है अर्थात् उसे कहता है या निश्चय करता है उसे शब्द नय कहते हैं । शब्द के भेद से वस्तु में भेद करने वाला शब्द नय कहलाता है शब्द की अपेक्षा करके अर्थ में भेद डालने वाला होने के कारण शब्द नय, समभिरूढ़ नय और एवंभूत नय ये तीनों शब्द नय कहलाते हैं जिस व्यक्ति ने संकेत ग्रहण किया है उसे अर्थबोध कराने वाला शब्द होता है अतः शब्द को ग्रहण करने के बाद अर्थ के ग्रहण करने में समर्थ शब्दनय है। जैसे— इन्द्र, शक्र, पुरन्दर ये तीनों शब्दों का अर्थ एक ही है परन्तु यह एकार्थता समान काल लिंग, आदि वालों शब्दों में है सब पर्यायवाची शब्दों में नही । शब्दनय में इसका भी विचार किया जाता है।