रत्नत्रय
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सम्यग्दर्शन, सम्यक्ज्ञान, व सम्यक्चारित्र इन तीन गुणों को रत्नत्रय कहते हैं। इनके विकल्प रूप से धारण करना भेद रत्नत्रय है और निर्विकल्प रूप से धारण करना अभेद रत्नत्रय है ।
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