भाषा
साधारण बोलचाल को भाषा कहते हैं भाषा दो प्रकार की है अक्षरात्मक और अनक्षरात्मक। जिसमें शास्त्र की रचना होती है तथा जिससे आर्य और म्लेच्छ मनुष्यों का व्यवहार चलता है ऐसी संस्कृत या अन्य भाषा अक्षरात्मक-भाषा कहलाती है संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीवों की भाषा अक्षरात्मक भाषा है अक्षरात्मक भाषा संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, पैशाची आदि भाषा के भेद से आर्य व म्लेच्छ मनुष्यों के व्यवहार के कारण अनेक प्रकार की है अठारह महाभाषाएँ मानी गई हैं जो तीन कुरुक ( कर्णाढ़) भाषाओं तीन लाढ़ भाषाओं, तीन मरहठा (गुर्जर) भाषाओं, तीन मालव भाषाओं, तीन गौड़ भाषाओं और तीन मागध भाषाओं के भेद से अठारह होती है। दो इन्द्रिय से लेकर असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों के मुख से उत्पन्न हुई भाषा तथा बालक व मूक संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों की भाषा अनक्षरात्मक भाषा है। कर्कश, परुष (कठोर), कटु, निष्ठुर, परकोपी, छेद्यांकुरा, मध्यकृशा, अतिमानिनी, भयंकरी और जीवों की हिंसा करने वाली ये दश दुर्भाषाएँ हैं जो त्याज्य है, आमंजीणी, आज्ञापनी, याचनी, प्रश्नभाषा, प्रज्ञापनी, प्रत्याख्यानी इच्छानुलोमा, संशयी, अनक्षर रूप, ऐसे भी भाषा के भेद हैं ।