भाविनैगमनय
जो पदार्थ अभी अनिष्पन्न है और भावी काल में निष्पन्न होने वाला है। उसे निष्पनवत् कहना भावी नैगमनय है। जैसे जो अभी प्रस्थ नहीं बना है, ऐसे काठ के टुकड़े को ही प्रस्थ कह देना । भावी नैगमनय की अपेक्षा अरहंत भगवान सिद्ध ही हैं। बहिरात्मा की दशा में अन्तरात्मा और परमात्मा ये दोनों शक्ति रूप से तो रहते ही हैं, परन्तु भावी नैगमनय से व्यक्ति रूप से भी रहते हैं। इसी प्रकार अन्तरात्मा की दशा में परमात्मस्वरूप शक्ति रूप से रहता ही है, परन्तु भावी नैगमनय से व्यक्ति रूप से भी रहता है।