बाहुबली
ये भगवान ऋषभदेव के पुत्र और भरत चक्रवर्ती के छोटे भाई थे। इनकी माँ का नाम सुनंदा था। ऋषभदेव के वैराग्य के उपरांत इन्हें पोदनपुर का युवराज पद मिला । अपने ही भाई भरत-चक्रवर्ती से युद्ध में जीतकर संसार से विरक्त हो गए। जिनदीक्षा लेकर एक वर्ष तक तपस्या में लीन रहकर केवलज्ञान प्राप्त किया और भगवान ऋषभदेव से पहले ही मोक्ष चले गए। ध्यानावस्था में इनके शरीर पर लताएँ लिपट गयीं और सर्पों ने आसपास बांबी बना ली फिर भी ये ध्यान मग्न रहे। इस बात को दर्शाने के लिए आज भी इनकी प्रतिमा पर लताएँ लिपटी हुई दिखाई जाती हैं। दक्षिण भारत में स्थित गोम्मटेश्वर बाहुबली भगवान की अत्यंत विशाल और सुंदर मूर्ति विश्व को आश्चर्य चकित करने वाली है।