बालाचार्य
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अपने गुण के समान जिनके गुण हैं। ऐसे वे बालाचार्य अपने गच्छ का पालन करने के योग्य हैं, ऐसा विचार कर उस पर अपने गुण को विसर्जित करते हैं अर्थात् अपना पद छोड़कर सम्पूर्ण गण को बालाचार्य के लिए छोड़ देते हैं अर्थात् बालाचार्य यहाँ से उस गण का आचार्य समझा जाता है।
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