प्राप्यकारी इन्द्रियाँ
श्रोत्रेन्द्रिय स्पृष्ट शब्दों को सुनती है, स्पर्श इन्द्रिय, रसनेन्द्रिय ओर घ्राणेन्द्रिय क्रमशः बद्ध और स्पृष्ट, स्पर्श, रस और गन्ध को जानती है। श्रोत्र स्पृष्ट शब्दों को सुनता है और अस्पृष्ट शब्द को भी सुनता है। तथा घ्राण, रसना और स्पर्शन इन्द्रियाँ क्रम से स्पृष्ट और अस्पृष्ट गन्ध, रस और स्पर्श जानता है। चक्षुरिन्द्रिय मात्र अस्पृष्ट रूप को देखती है इसलिए अप्राप्यकारी है और शेष इन्द्रियाँ प्राप्यकारी हैं।