प्रयोग कर्म
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वह तीन प्रकार का है- मनप्रयोगकर्म, वचनप्रयोगकर्म, कायप्रयोगकर्म । वह संसार अवस्था में जीवों के और संयोग केवलियों के होता है। प्रयोग करता है इस व्युत्पत्ति के आधार से प्रयोग कर्म शब्द का सिद्धि कर्त्ता कारक में करने पर जीवों के भी प्रयोग कर्म संज्ञा बन जाता है।
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