प्रत्यासत्ति
कोई पर्यायकैं कोई पर्यायकरि समवायतैं निकटता है जैसे स्मरणकें और अनुभवकैं एक आत्माविषै समवाय है। (यह द्रव्य प्रत्यासत्ति है) बगुला की पंक्ति के और जल के क्षेत्र में प्रत्यासत्ति है। जो सम्यग्दर्शन, ज्ञान सामान्य और शरीर से जीव और स्पर्श विशेष तथा पहले उदय होय भरणी – कृतिका नक्षत्र तथा कृतिका- रोहिणी नक्षत्र इनके काल प्रत्यासत्ति है। गऊ गवयका एक रूप केवली सिद्ध के केवलज्ञान का एक स्वरूपपना ऐसे भावप्रत्यासत्ति