पुलवि
स्कन्ध, अण्डर, आवास, पुलवि और निगोद शरीर ये पाँच स्थान निगोदिया जीव के होते हैं, उनमें से जो बादर निगोदों का आश्रयभूत है बहुत बक्खारों से युक्त है तथा वलजंतवाणिय कच्छउड समान है, ऐसे मूली, थूअर, आर्द्रक आदि संज्ञा को धारण करने वाला स्कंध है जो उन स्कन्धों के अवयव हैं और जो बलंजंत कच्छउड के पूर्वापर भाग के समान हैं उन्हें अण्डर कहते हैं। जो अण्डर के भीतर स्थित है तथा कच्छउड अण्डर के भीतर स्थित बक्खार के समान हैं उन्हें आवास कहते हैं। जो आवास के भीतर स्थित है और जो कच्छउड अण्डर बक्खार के भीतर स्थित पिशवियों के समान हैं, उन्हें पुलवि कहते हैं। एक- एक आवास में असंख्यात लोक प्रमाण पुलवि होती है और एक-एक पुलवि में असंख्यात लोक प्रमाण निगोद शरीर होते हैं, जो अलग–अलग अनन्तानंत निगोद जीवों से आपूर्ण होते हैं तीन लोक भरत क्षेत्र, जनपद ग्राम और पुर के समान स्कन्ध, अण्डर, आवास पुलवि और निगोद शरीर होते हैं ऐसा यहाँ समझना चाहिए