पाद्य स्थिति कल्प
वर्षाकाल में चार मास एक ही स्थान में रहना अर्थात् भ्रमण का त्याग करना यह पाद्य नाम का दसवां स्थिति कल्प है। यह उत्सर्ग नियम है कारणवश इससे अधिक या कम दिवस भी एक स्थान में रह सकते हैं। मारी रोग, दुर्भिक्ष में ग्राम के लोगों का अपना स्थान छोड़कर अन्यत्र जाना, संघ का नाश होने के निमित्त उपस्थित होना इत्यादि किसी कारण के उपस्थित होने पर चातुर्मास में भी अन्य स्थानों पर जाते हैं।