गणनासंख्यात
1. जघन्य परीतासंख्यात- संख्येय प्रमाण के ज्ञान के लिए जम्बूद्वीप के समान एक लाख लम्बे-चौड़े और एक योजन गहरे शलाका, प्रतिशलाका, महाशलाका और अनवस्थित नाम के कुण्ड बुद्धि से कल्पित करने चाहिए। अनवस्थित कुण्ड में दो सरसों डालने चाहिए, फिर कोई देव उसमें से एक सरसों को क्रमशः एक-एक द्वीप सागर में डालता जाये, जब वह कुण्ड खाली हो जाए तब शलाका कुण्ड में एक दाना डाला जाए । जहाँ अनवस्थित कुण्ड का अन्तिम सरसों गिरा था, उतना बड़ा अनवस्थित कुण्ड कल्पना किया जाए, उसे सरसों से भरकर फिर उससे आगे के द्वीपों में एक-एक सरसों डालकर उसे खाली किया जाए । जब वह खाली हो जाए तब शलाका कुण्ड में दूसरी सरसों डाली जाए। इस प्रकार अनवस्थित कुण्ड को तक बढ़ाता जाए जब तक कि शलाका कुण्ड सरसों से न भर जाए । शलाका कुण्ड भर जाए तब एक दाना प्रतिशलाका कुण्ड में डालें। इस तरह उसे भी भरें। जब प्रतिशलाका कुण्ड भर जाए तब एक सरसों महाशलाका कुण्ड में डाली जाए । उक्त विधि से जब वह परिपूर्ण हो जाए, तब जो प्रमाण आता है, वह उत्कृष्ट संख्यात से एक अधिक जघन्य परीतासंख्यात है।2उत्ष्कृट परीतासंख्यात- जघन्य युक्त – संख्यात में एक कम करने पर उत्कृष्ट परीतासंख्यात होता है।3. मध्यम परीतासंख्यात- नीचे के विकल्प मध्यम परीता संख्यात है।4.जघन्य युक्तासंख्यात- जघन्य परीसंख्येय के फैलाकर मोती के समान जुदे-जुदे रखना चाहिए। प्रत्येक एक-एक जघन्य परीतासंख्यात को फैलाना चाहिए । उनका परस्पर वर्ग करे, जो जघन्य परीतासंख्येय मुक्तावली पर दिये गये थे, उनका गुणाकर रूप एक राशि बनावें । उसे विरलनकर उस पर उस वर्गित राशि को दें। उसका परस्पर वर्ग कर जो राशि आती है वह उत्कृष्ट परीतासंख्येय से एक अधिक जघन्य युक्ता- संख्यात होती है।6. मध्यम युक्तासंख्यात- बीच के विकल्प मध्यम युक्तासंख्येय होते हैं।7. जघन्य असंख्येयासंख्यात जघन्य युक्तासंख्येय को विरलन कर प्रत्येक पर जघन्यायु युक्तासंख्येय को स्थापित करें। उनका वर्ग करने पर जो राशि आती है, वह जघन्य असंख्येयासंख्यात है।8. उत्कृष्ट असंख्येयासंख्यात- इसमें धर्म-अधर्म एक जीव लोकाकाश प्रत्येक शरीर जीव बादर निगोद शरीर छहों असंख्येय स्थिति बन्धाध्यवसाय स्थान, योग के अविभाग प्रतिच्छेद, उत्सप्रिणी, अवसर्पिणी काल के समय इन सबको जोड़ने पर फिर तीन बार वर्गित, संवर्गित करने पर उत्कृष्ट संख्येय-असंख्येय से एक अधिक जघन्य परीतान्त होता है, उसमें से एक कम करने पर उत्कर्ष असंख्येय होता है ।9.मध्यम असंख्येयासंख्यात- मध्य केविकल्प मध्यम असंख्येयासंख्यात है।