पद
1. जिसके द्वारा जाना जाता है वह पद है अथवा जो जाना जाए वह पद है। 2. जिसका जिसमें अवस्थान है वह उसका पद अर्थात् स्थान कहलाता है। जैसे सिद्धिक्षेत्र सिद्धो का पद है । 3. वर्णों के अन्त में यथाशास्त्रानुसार विभक्ति होने से इनका नाम पद होता है। पद चार प्रकार का है प्रमाण पद, अर्थपद, मध्यम पद व व्यवस्था पद | आठ अक्षरों से निष्पन्न हुआ प्रमाण पद है। यह अवस्थित है और इसकी आठ संख्या नियत हैं जितने पदों के द्वारा अर्थ का ज्ञान होता है वह अर्थ पद है एक, दो, तीन, चार, पाँच, छ: और सात अक्षर तक का पद अर्थपद कहलाता है। मध्यमपद में सोलह सौ चौतीस करोड़ तिरासी लाख सात हजार आठ सौ अट्ठासी अक्षर होते हैं और अंग तथा पूर्वो के पद की संख्या इसी मध्यम पद से होती है। संक्षिप्त रचना से सहित अनन्त अर्थों के ज्ञान के हेतुभूत अनेक चिन्हों से संयुक्त बीज पद कहलाता है। जितने वाक्यों के समूह से एक अधिकार समाप्त होता है, उसे व्यवस्था पद कहते हैं अथवा सुवन्त और मिगन्त पद को व्यवस्था पद कहते हैं। इतने अक्षरों को ग्रहण कर एक मध्यम पद होता है। यह भी संयोगी अक्षरों की अपेक्षा अवस्थित है, क्योंकि उसे उक्त प्रमाण से संख्या की अपेक्षा वृद्धि और हानि नहीं होती।