निर्वर्तना
निर्वर्तना अर्थ निष्पादना या रचना है, निक्षेप का अर्थ स्थापना अर्थात् रखना है। संयोग का अर्थ मिश्रित करना अर्थात् मिलाना है और निसर्ग का अर्थ प्रवर्तन है। शरीर की असावधानता पूर्वक प्रवृत्ति करना दुःप्रयुक्त कहा जाता है। ऐसा दुःप्रयुक्त शरीर हिंसा का उपकरण बन जाता है इसलिए इसको देहनिर्वर्तनाधिकरण कहते है । जीव बाधा के कारण ऐसे छिद्र सहित उपकरण बनाना, इसको भी निर्वर्तनाधिकरण कहते है, जैसे कांजी बगैरह रखे हुए पात्र में जन्तु प्रवेश कर मर जाते है। पिच्छी कमण्डलु आदि उपकरणों का संयोग करना, जैसे ठण्डे स्पर्श वाले पुस्तक का धूप से संतप्त कमण्डलु और पिच्छी के साथ संयोग करना अथवा धूप से तपी हुई पिच्छी से कमण्डलु पुस्तक को स्वच्छ करना आदि को उपकरण संयोजना कहते हैं। जिसमें सम्पूचर्न जीवों की उत्पत्ति होगी ऐसे पेय पदार्थ दूसरे पेय पदार्थ के साथ संयुक्त करना, अथवा भोज्य पदार्थ के साथ पेय पदार्थ को संयुक्त करना । जिनसे जीवों की हिंसा होती है। ऐसा ही पेय और भोज्य पदार्थों का संयोग निषिद्ध है इससे अन्य संयोग निषिद्ध नहीं है, ऐसा भक्तपान संयोजना है।