निदान आर्तध्यान
विशेष प्रीतिवश या तीव्र कामादि वासना से प्रेरित होकर त्याग तपस्या के फलस्वरूप परलोक में इन्द्रिय-सुख मिले, ऐसी आकांक्षा निरन्तर करना निदान नाम का आर्तध्यान है। इसमें परलोक संबंधी इन्द्रिय-सुखों की प्राप्ति के लिए सतत् चिन्ता बनी रहती है। यह आर्तध्यान देशव्रती श्रावक की अवस्था तक ही संभव है। मुनिजनों को यह आर्तध्यान नहीं होता।