नास्तिक्य
नास्तिक्य दो प्रकार का होता हैप्रज्ञासत् व प्रज्ञप्तिसत्, अर्थात् बाह्य व अध्यात्मिक । बाह्य में दृष्ट घट स्तम्भादि ही सत् है, इनके अतिरिक्त जीवाजीवादि तत्त्व कुछ नहीं है। ऐसी मान्यता वाले चार्वाक प्रज्ञासत् नास्तिक है, अतरंग में प्रतिभाषित संवित्ति या ज्ञानप्रकाश ही अजीव आदि तत्त्व कुछ नहीं हैं। ऐसी मान्यता वाले सौगत (बौद्ध) प्रज्ञप्ति सत् नास्तिक है।