जल चारण
जो ऋषि जलकायिक जीवों को बाधा न पहुँचाकर जल को न छूते हुए इच्छानुसार भूमि के समान जल में गमन करने में समर्थ हैं, वे जल चारण कहलाते हैं। जल पर भी पादनिक्षेप पूर्वक गमन करते हैं। ओस, ओला, कोहरा और बर्फ आदि का भी जल चारण में अन्तर्भाव होता है, क्योंकि इनमें जलकायिक जीवों की परिहार की कुशलता देखी जाती है।