चारित्र विनय
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महान आत्माओं के श्रेष्ठ चारित्र का वर्णन सुनते ही रोमांचित होकर अंतरंग भक्ति प्रकट करना, प्रणाम करना, मस्तक पर अंजुली रखकर आदर प्रकट करना और श्रद्धाT – पूर्वक स्वयं चारित्र के पालन करने में तत्पर रहना चारित्र – विनय है ।
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