चारण ऋद्धि
चरण चारित्र, संयम, पापक्रिया निरोध इनका एक ही अर्थ है इनमें जो कुशल अर्थात् निपुण है, वे चारण कहलाते हैं। जल, जंघा, तन्तु, फल, पुष्प, बीज, आकाश और श्रेणी के भेद से चारण ऋद्धि धारक आठ प्रकार के हैंअग्निशिखाचारण, धूमचारण, मेघचारण धाराचारण, ज्योतिष चारण, मरुतचारण आदि भी चारण ऋद्धि के भेद हैं। –