गारव अतिचार
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ऋद्धि का त्याग करने में असमर्थ होना, ऋद्धि में गौरव समझना, परिवार में आदर करना, प्रिय भाषण करके और उपकरण देकर पर वस्तु अपने वश करना, इष्ट रस का त्याग न करना, अनिष्ट रस में अनादर रखना, अतिशय भोजन करना, अतिशय सोना, इनको क्रमशः ऋद्धिगारव, रसगारव, सात गारव कहते हैं। यह ही गारव अतिचार है।
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