गुण पर्याय
द्रव्यों के अगुरु-लघु गुण के अविभाग प्रतिच्छेदों की समय-समय उत्पन्न होने वालीं पर्यायें हैं। वह द्रव्यों की स्वभाव गुण पर्याय कही गईं हैं। ऐसा तुम जानो। द्रव्य या भावकर्म से रहित शुद्धज्ञान, दर्शन, सुख व वीर्य जीव द्रव्य की स्वभाव गुण पर्याय जानो। एक अणु रूप पुद्गल द्रव्य में स्थित रूप, रस, गंध, वर्ण है, वह पुद्गल की स्वभाव गुण पर्याय जानों। समस्त द्रव्यों के अपने-अपने अगुरूलघु गुण द्वारा प्रतिसमय प्रगट होने वाली षट् स्थान पतित हानि-वृद्धि रूप अनेक तत्त्व की अनुभूति स्वभाव गुण पर्याय हैं। वर्ण से वर्णान्तर परिणमन करना यह परमाणु गुण पर्याय हैं । विभाव गुण पर्याय – मति, श्रुत, अवधि और मनःपर्यय ये चार ज्ञान तथा तीन अज्ञान जो कहे गये हैं, ये सब जीव द्रव्य की विभाव गुण पर्याय हैं। अणुकादिस्कन्धों में जो रूपादिक कहे गये हैं, अथवा देखे गये हैं, वे सब पुद्गल द्रव्य की गुणपर्याय हैं। जीव द्रव्य की विभाव अर्थ पर्याय, कषाय तथा विशुद्धि संक्लेश रूप शुभ व अशुभ लेश्या स्थानों में षट्स्थान गत हानि–वृद्धि रूप जाननी चाहिए। द्विअणुक आदि स्कन्धों