क्षय
कर्मों का आत्मा से सर्वथा दूर हो जाना अथवा कर्मों का सर्वथा नष्ट हो जाना क्षय कहलाता है। अशुभ कर्म का क्षय पहले होता है मिथ्यात्व अत्यन्त अशुभ प्रकृति है इसलिए सर्वप्रथम मिथ्यात्व का क्षय होता है फिर शेष मोहनीय कर्म का क्षय होता है उसके उपरान्त ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तराय कर्म का क्षय होने से केवलज्ञान की प्राप्ति होती है। समस्त कर्मों के क्षय से जीवों को मोक्ष प्राप्त होता है।