क्षपक श्रेणी
जहाँ समस्त मोहनीय कर्म का क्षय करता हुआ आत्मा आगे बढ़ता है वह क्षपक श्रेणी है। इस श्रेणी का प्रारम्भ भी अधःकरण परिणामों से होता है। इस श्रेणी वाले जीव क्रम से अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण और सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थानों को प्राप्त होते हुए सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान के अन्त में चारित्र मोहनीय का सर्वथा क्षय करके क्षीणकषाय गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। जिसने दर्शन मोहनीय का क्षय नहीं किया है वह क्षपक श्रेणी पर नहीं चढ़ सकता अर्थात् क्षायिक सम्यग्दृष्टि ही क्षपक श्रेणी पर चढ़ते हैं, इस श्रेणी पर चढ़ने वाले जीव का नीचे की ओर पतन नहीं होता तथा मरण नहीं होता । उपशम श्रेणी पर चढ़ने वाले जीवों से क्षपक श्रेणी पर चढ़ने वाले जीव दुगुने होते हैं।