किल्विष
जो सीमा के पास रहने वालों के समान हैं वे किल्विषक कहलाते हैं किल्विष पाप को कहते हैं इसकी जिनके बहुलता होती है वे किल्विषक कहलाते हैं। किल्विष देव चाण्डाल की उपमा को धारण करने वाले हैं। श्रुतज्ञान में केवलियों में धर्म में, तथा आचार्य उपाध्याय साधु में दोषारोपण करने वाला तथा उनकी दिखावटी भक्ति करने वाला, मायावी तथा अवर्णवादी कहलाता है। ऐसे अशुभ विचारों वाला जीव किल्विष जाति के देवों में उत्पन्न होता है और इन्द्र की सभा में नहीं जा सकता।