कल्पवृक्ष
जो भोगभूमि में मनुष्यों को अपने-अपने मन की कल्पित वस्तुओं को दिया करते हैं वे कल्पवृक्ष कहलाते हैं। सब कल्पवृक्ष न वनस्पति रूप हैं और न कोई व्यन्तर देव हैं, किन्तु इनकी विशेषता यह है कि ये सब पृथ्वीरूप होते हुए भी जीवों को उनके पुण्य कर्म का फल देते हैं। भोगभूमि में पानांग, तूर्यांग, भूषणांग, वस्त्रांग, भोजनांग, आलयांग, दीपांग, भाजनांग, मालांग और तेजांग आदि कल्पवृक्ष अपने नाम के अनुरूप मनवांछित वस्तुएँ देने में सक्षम होते हैं।